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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
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जिहां प्रभु त्रिएह कल्याणक हूयउ,
दीक्षा ग्यान अनइ निरवाण ।३।प्र। अष्टापदि प्रणमु चउवीसे,
: भरत कराव्या जिन प्रासाद । गौतम सामि चड्यां जिहां लबधि,
प्रतिबोध्या तापस सुप्रसाद ४।प्र। श्री सम्मेत शिखर समरीजइ,
अजित प्रमुख तीर्थकर वीस । सुकल ध्यान धरी शिव पहुंता,
जगबंधव जगगुरु जगदीश शप्र० नंदीसर वर दीपि . नमीजइ,
सासता तीर्थकर च्यार । ऋषभानन वधमान जिणेसर,
वारिपेण चन्द्रानन सार ।।प्र०) अभयदेव सूरि खरतर गच्छ पति,
प्रगट कियउ प्रभु वित्र उलास । तेहनउ रोग हरयउ तिहां ततखिण,
प्रणमु श्री थंभणपुर पास ।।प्र० जरासिंधु विद्या बल गंजण,
हरिसेना मनि कियो रे आणंद ।। जय जय जादव वंश जीवाडण,
श्री संखेसर पास जिणंद ।।म०
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