________________
( ५८ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
शत्रञ्जय नी कोरणी, नवा नगर में रे। श्री राजसी भराया बिंब, तीरथ ते नमुरे॥१६॥] नंदीसर ना देहरा, बावन वरा रे। रुचक कुण्डल च्यार च्यार, तीरथ ते नमुरे॥१७॥ शासती नई असासती, प्रतिमा छती रे। स्वर्ग मर्त्य पाताल, तीरथ ते नमु रे॥१८॥ तीरथ यात्रा फल तिहां, होजो मुझ इहां रे। समयसुन्दर कहै एम, तीरथ ते नमुरे ॥१४॥
तीर्थमाला स्तवन श्री सेत्रुञ्जि गिरि शिखर समोसरया,
वीस तीर्थंकर श्री अरिहंत । आठ करम नउ अंत करी नइ,
सीधा मुनिवर कोड़ि अनंत ।।प्र। मह ऊठी ने नित प्रणमीजइ,
तीरथ सेत्तु जि प्रमुख प्रधान । हियडइ ध्यान धरतां आपइ', - अष्ट महासिद्धि नवे रे निधान ।।प्र। श्री गिरनार नमु नेमीसर,
श्री जिनवर जादव कुल भाण । १ हुई
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org