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(५. ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
मीमधर स्वामी गीतम्
राग-कड़खा सामि सीमंधरा तुम्ह मिलवा भणी,
हियडलु राति नइ दिवस होस । ध्यान धरतां सुपन मांहि आवी मिलइ,
झनकि जागु तब काइ न दीसै ।। सा। नउ तंइ रे देव दीधी कुंती पांखड़ी,
तउ हूं ऊडी प्रभु जांत पासे । सामि सेवा भणी अति घणउअलजयउ,
देवतइ को दिउ दरि पासे ।२। सा० । ध्यान समरण प्रभु ताहरू नित धरू,
तूं पणि मुझ ने मत वीसारे । समयसुन्दर कर जोड़ि इम वीनवइ,
सामि मुंनइ भव समुद्र तारे ।३। सा०।
युगमंधर जिन गीतम्
बाल-उपशम तरु छाया रस लीजइ, एहनी तूं साहिन हूँ तोरउ, वीनतही अवधारि जी। इंप्रभु तोरई शरणह अाव्यउ, तूं मुझ नइ साधारि जी।। श्री जुगमंधर करुणा सागर, विहरमाण जिणिंद जी। सेवक नी प्रभु सार करीजइ, दीजइ परमाणंद जी ।२ श्री०।
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