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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
( ४७ )
सीमंधर जिन स्तवन
विहरमान सीमंधर सामी, प्रह ऊठी प्रणमुसिरनामी।११ वि०। सत्यकी माता उरि सर हंसि, लांछन वृषभ पिता श्रेयंसि ।२। वि०। पूरव महाविदेह मझारी, पुखलावती विजयो अवतारी।३। वि०॥ कंचन वरणी कोमल काया, चउरासी लख पूरब आया।४। वि०। पांचसय धनुष शरीर प्रमाणा, अमृत वाणी करत वखाणा । वि०। सकल लोक संदेह हरंता, समयसुन्दर वांदइ विहरंता।६।वि। इति श्रीपुष्कलावतीविजयमण्डणश्रीसीमधरसामिभास ॥२६॥
सीमंधर जिन स्तवन
चंदालाइ एक करू. अरदास चंदा,
चंदालाइ सीमंधर सामी नै कहे मोरी वंदना रे लो। चंदालाइ मूरति मोहन वेल चंदा,.
चंदालाइ सूरति तो अति सुन्दर शीतल चंदना रेलो।१०। चंदालाइ मो मन मिलन उमेद चंदा, ___ चंदालाइ देवडले न दीधी मुझने पांखड़ी रे लो। चंदालाइ सकल दिवस मुझ सोइ चंदा,
चंदालाइ आपणड़ा वाल्हेसर देखिस प्रांखड़ी रे लो।२ चं०। चंदालाइ मन मान्या मेलाप चंदा,
चंदालाइ पूरबलै सरजै बिण क्युकरि पाइये रेलो।
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