________________
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री सीमंधर जिन स्तवन धन धन क्षेत्र महाविदेह जी, धन पुण्डरंगिणी गाम । धन्य तेहना मानवी जी, नित उठ करै रे प्रणाम ।। सीमंधर स्वामी, कइये रे हूँ महाविदेह आवीस । जयवंता जिनवर, कइये रे हूँ तुमनै वांदीस । प्रा०। चांदलिया संदेसड़ो जी, कहजे सीमंधर स्वाम । भरतक्षेत्र ना मानवी जी, नित उठ करइ रे प्रणाम ।।सी। समवसरण देवे रच्यो तिहां, चौसठ इन्द्र नरेश । सोना तणे सिंहासण बैठा, चामर छत्र धरेश ॥३॥ सी०। इंद्राणी काढ गूहली जी, मोती ना चौक पूरेश । ललि ललि लीयै लूँछणा जी, जिनवर दिये उपदेश।४।सी। एहवइ समइ मंइ सांभल्यूंजी, हवे करवा पञ्चक्खाण । पोथी ठवणी तिहां कणे जी, अमृत वाणी वखाण ।।सी। राय नै व्हाला घोडला जी, वेपारी नै व्हाला छैदाम । अम्ह ने वाल्हा सीमंधर स्वामी, जिम सीता ने राम ।६।सी। नहीं मांगूप्रभु राज ऋद्धि जी,नहीं मांगू ग्रंथ भंडार। हूँ मांगू प्रभु एतलो जी, तुम पासे अवतार ७ सी०) दैव न दीधी पांखड़ी जी, किम करि अावु हजूर । मुजरो म्हारो मानजो जी, प्रह उगमते सूर ।।सी। समयसुन्दर नी वीनति जी, मानजो वारं वार । बेकर जोड़ी वीनवु जी, बीनतड़ी अवधार ।।।सी।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org