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समयमुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
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देश यशा जगि चिरजयो, गंगा देवी मायो जी। सर्वभूति नामे पिता, शशिहर चिन्ह सुहायो जी ॥२०॥ अजितवीर्य जिन वीसमो,मात कनीनिका जासोजी। . राजपाल सुत राजियो, स्वस्तिक अंक विलासोजी।।२१।। प्रह उगमते प्रणमिये, विहरमान जिन वीसो जी। नामे नवनिधि संपजे, पूरे मनह जगीसो जी ॥२२॥
॥ कलश ॥ इह वीस जिनवर भुवन दिनकर, विहरमान जिनेसरा । निय नाम माय सुताय लांछन, सहित हित परमेसरा ।। जिनचंद सूरि विनेय पंडित, सकलचंद महामुणी । तसु सीस वाचक समयसुन्दर, संथुण्या त्रिभुवन धणी ॥२३॥
वीस विरहरमान जिन स्तवन वीस विहरमान जिनवर राया जी।
प्रह ऊठी नित प्रणमुपाया जी॥ प्रह ऊठी नित प्रमणु पाय प्रभुना, सीमंधर युगमंधरो। बाहू सुबाहु सुजात स्वयंप्रभ, श्री ऋषभानन जिनवरो॥ श्री अनंतवीर्य श्री सूरिप्रभ के, चरण से चित लाया। प्रह ऊठी प्रणमै समयसुन्दर, विहरमान जिनराया ॥१॥
१ पावइ
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