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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
प्रभुना पद पंकज, प्रणमंतां जयकार ॥१३॥ भव भय दुख भंजन, चंद्रबाहु भगवंत । रेणुका राणी सुत, महियल महिमावंत ॥ देवानंद नरवर, वश विभूषण हंस । अद्भुत पद पंकज, लांछन जग अवतंस ॥१४॥ भवियण जण भेट्यो, श्रीभुजंग जिनराय । महिमा माता वलि, तातु महाबल राय ॥ अंके अति सन्दर, सोहे जस अरविंद । समरंतां सेवक, पामे परमाणंद ॥१५॥ ईश्वर परमेश्वर, प्रणमुपरम उल्लास । जयवंत जिणेसर, मात जशोजला जास ॥ गलसेन पिता गुण, माणिक रयण भंडार। शशि लंछन शोभित, सेवक जन(म) साधार॥१६॥
॥ ढाल ॥
जगगुरु नेमि जिनेसरु, सेना मात मल्हारो जी । जीवयश नृप नंदनो, सूरज अंक उदारो जी ॥१७॥ वीरसेन प्रभु वंदिये, भानुमती सुत सारो जी। भूमिपाल भूपति पिता, लांछन वृषभ अपारो जी ॥१८॥ स्वामी महाभद्र समरिये, ऊमा देवी नंदो जी।
देवराज कुल चंदलो, गज लंछन जिनचंदो जी ॥१६॥ १ वीरराज
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