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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जल
विशाल तीर्थकर वां, त्रिकालो जी।
वज्रधर चंद्रानन प्रतिपालो जी ॥ प्रतिपाल चंद्रबाहु भुजंग ईश्वर, नेमि चरण कमल नमु। वीरसेन महाभद्र देवयशा श्री अजितवीरिज वीसमु॥ ए वर्तमान जिणंद विचरै, अढीय द्वीप विचालो। प्रह ऊठी प्रणमै समयसुन्दर, तीर्थंकर त्रिकालो ॥२॥
वीसे जिनवर ज्ञान दिणंदा जी।
चौमुख सोहै पूनमचंदा जी ॥ पूनमचंद तणी परे, प्रभु समवसरण विराज ए। देशना अमृतधार वरसै, भविय संशय भाज ए॥ पांचसइ धनुष प्रमाण काया, नमइ इंद्र नरिंदा। प्रह ऊठी प्रणमै समयसुन्दर, जिनवर ज्ञान दिणंदा ॥३॥
भवि भवि देज्यो तुम पाय सेवा जी।
मिलन उमाह्यो गज जिम रेखा जी ॥ गज जेम रेवा मिलन उमयो, दैव न दीधी पांखड़ी। सो सफल दिवस गिणीस अपनौ, जिण दिन देखिस आंखड़ी। दुरि थी मोरी वंदना हिव, जाणजो नित मेवा । प्रण ऊठि प्रणमै समयसुन्दर, भव भव तुम पय सेवा ॥४॥
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