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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
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मिलवानी मुझ नहि संगति काय,
दरसण दीठां विण दुख थाय । समयसुन्दर कहइ मुझ करि पसाय,
सुपनंतरि पणि दरसण दिखाय । २।३०। १२ चन्द्रानन जिन गीतम्
राग-ललित (ढालः-मेरउ गुरु जिणचंद सूरि । एहनी जाति)
चंद्रानन जिणचंद, दरसण दीठां आणंद । धातकी खंड मंडाण, वीतराग हिरमाण ।
भविक कमल भाण, दरि करइ इंद ।। । वृषभ लांछन पाय, पदमावती राणी माय ।
पिता वालमीक राय, नमइ नर वृन्द ।२। । दक्षिण भरत वर, अयोध्या नामइ नगर ।
प्रणमइ समयसुन्दर, पाय अरविन्द ।३।०। . १३ चन्द्रबाहु जिन गीतम्
राग-मारुणी (ढालः-देखि २ जीव नटावइअइसउ नाटक मंडणउ री।दे० एहनी जाति) चंद्रबाहु चरण कमल, मधुकर मन मेरउ हो । चं०॥ अवर देव तिके वणराइ, नावइ कदि नेरउ हो। चं० ॥१॥
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