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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि ( ३३ ) ८ अनन्तवीर्य जिन गीतम्
राग-कल्याण (ढाल :-कृपानाथ तइ कूप नू उधर्यउरी । कृ०। एहनी जाति )
अनंतवीरिज आठमउ तीर्थकर । अ०। राग द्वष रहित कुण बीजउ,
देव कहुं हरि ब्रह्मा संकर ।१। अ०। त्रिभुवन नाथ अनाथ कउ पीहर,
- गुण अनंत अतिसय अतिसुन्दर। सर नर कोडि करइ तुम्ह सेवा,
चउसठि इंद्र तिके पणि किंकर ।२।१०। धातकीखंड मइ धरम प्रकासइ,
अरिहंत भगवंत तु अलवेसर । समयसुन्दर कहइ मनसुधि माहरइ,
इहभवि परभवि तु परमेसर । ३। अ० । ९ सृरिप्रभ जिन गीतम
____गग-उड़ी ( ढालः-छइ मोटु पणि पदम सरोवर । एहनी जाति ) श्री सरिप्रभ सेवा करस्य,
___ ध्यान एह भगवंत नु धरिस्य। श्री। पाय कमल प्रभु ना अनुसरस्यु,
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