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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
राशि मेल मन मेल विसापण लाहणा,
साहिब सेवक जोड़ सेव॒ पय तुम तणा ।३। भवि भवि देज्यौ सेव म करिस्यउ वेगलउ,
समयसुन्दर कहि एम ए प्रेम पूरउ मलउ।४। ( १७ ) अतिपास जिन गीतम
राग-वेलावल सतरमउ श्री अतिपास तीथंकर, मन वंछित फल नउ दातार। बे बोल मांगुबे कर जोड़ी, भवि भवि व्रत के समकित सार।१। भव्य अछुपणि भारी करमउ, दुषम काल भरत अवतार । पणि समरथ साहिब तु सेव्यउ, पहुंचाडिसी जाणु छुपार ।। सिद्धि गमन परिपाक जे जिम छइ, ते तिम छइ तिम तउ निरधार। समयसुन्दर कहइ जांछुछदमस्थ,तां सीम धरम करिसी श्रीकार। (१८) सुपास जिन गीतम्
राग-तोड़ी सुपास तीर्थंकर साचउ सही री । सु० । अलख अगोचर अकल सरूपी, राग द्वेष लवलेश नहीं रो। सु०। मीन लांछन तीस धनुष मनोहर, काया कंचनवरण कहीरी। श्री अरनाथ समउए अरिहंत,सुप्रतिष्ठ गिरि मुगति लहीरी।सु०॥ गुण ग्राम कीधा गिरुयाना, दुर्गति नी बात दूरी रही री। समयसुन्दर कहइ सफल जनम थयउ,वीतराग देवनी प्राण वहीरी,
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