SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि ( २३ ) (१०)शिवसेन जिन गीतम् राग-काफी अठताला दसमउ तीर्थकर शिवसेन नामा साचउ ।द। निराकार निरंजन निरुपम, मोह नहीं तिहां माचउ । द०१॥ हरि हर ब्रह्मा देव देखी नइ, नर नारी मत नाचउ । आप तरइ अवरां नइ तारइ, देव तिको तिहां राचउ । द०२। कल्पवृक्ष समउ प्रभु कहियइ, जो जोइयइ ते जाचउ । समयसुन्दर कहि शिवसेन नाम तउ, समवायांग सूत्र मईबांचउ। (११) देवसेन जिन गीतम् राग-मारूणी एकताली देसी नी साहिब तु है सांभलउ, हूँ वीनति करु आप बीत । सा। चउरासी लख हूँ भम्यउ, तिहां वेदन सही विपरीत । सा०।१। देवसेन देव तु सुण्यउ, परम कृपाल कहीत । तिण तुझशरणइ हुँआवियउ, हिवतुदेव तु गुरुमीत । सा०२। ध्यान इक तोरउ धरूँ, चरणइ लाउँ चीत। समयसुन्दर कहइ माहरइ, हिव परमेसर सुप्रीत । सा०।३। (१२) नक्खत्तसत्थ जिन गीतम राग-वसन्त नमु अरिहंत देव नक्खत्त सत्थ । न० । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy