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( २२ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि ऐषत क्षेत्र चतुर्विशक्ति गीतानि
(८) जुत्तसेण जिन गीतम
राग-केदारउ, ताल एकताली जुत्तसेण तीर्थंकर सेती, मोहि रह्या मन मोरा रे । मालति समधुकर जिम मोह्या, मेघ घटा जिम मोरारे। जु०॥१॥ मयगल जिम रेवा संमोद्या, हंस मानस संसदोरारे। मीन मोया जिम जलनिधि मांहे,चंद सुजेम चकोरारे। जुलास पूरव पुण्य संजोगे पाया, दुर्लभ दरसन तोरा रे। समयसुन्दर मांगई तुझ सेवा, नमि नमि करत निहोसरे। जु०॥३॥
(९) अजितसेण जिन गौतम
राग--शुद्ध नट चर्चरी ताल संगीत आवइ चौसठ इन्दा, मन में रंगइ ए । आ० । भगवंत नी भगति करइ, सर गिरि शृङ्गइ । श्रा०।१। थप मप धौं मादल बाजइ, मुङ्गल भेरि ए । प्रा० । तत थे तत थे नटुया नाचइ, फरंगट फेरि । प्रा० ॥२॥ अजितसेन अरिहंत नइ, चरणे लागइ ए । आ० । समयसन्दर संगीत गावइ, शुद्ध नट राइ । आ० ॥३॥ * इस चौवीसी के प्रारंभिक ७ गीत अप्राप्त हैं।
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