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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि ( ३ )
चौकीसी ऋषभ जिन स्तवन
राग-मारू ऋषभदेव मेरा हो ऋषभदेव मेरा हो। पुन्य संयोगइ पामीया मई, दरिसण तोरा हो ॥१॥ ऋ०॥ चउरासी लक्ष हूँ भम्यउ, भव का फेरा हो। दुख अनन्ता मई सद्या, स्वामी तिहां बहुतेरा हो ॥२॥ ऋ०॥ चरण न छोडू ताहरा, सामी अब की वेरा हो। 'समयसुन्दर' कहइ तुम्ह थइ, स्वामी कउण भलेरा हो ।३।ऋ०॥
अजित जिन स्तवन
राग-गउड़ी अजित तुअतुल वली हो, मेरा प्रभु-अजित० । मोह महाबल हेलइ जीतउ,
___ मदन महीपति फौज दली हो ॥११॥ अ०॥ पूरणचन्द जिसउ मुख तेरउ,
दंत पंक्ति मचकुन्द कली हो । सुन्दर नयन तारिका शोभित,
मानू कमल दल मध्य अली हो ॥२॥ अ०॥ गज लांछन विजया कउ अंगज,
भेटत भव दुख भ्रांति टली हो।
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