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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जाल पद्मनाभ सूरदेव सुपास,
स्वयंप्रभ सर्वानुभूति लील विलास ॥२॥ए०॥ देवश्रत उदय पेढाल पोट्टिल स्वामी,
सत्कीर्ति सुव्रत अमम नामी ॥३॥ए॥ निःकषाय निःपुलाक निर्मम जिण,
चित्रगुप्त श्रीसमाधि अनंत गुण ॥४॥ए०॥ संवर यशोधर विजय मल्लि देव,
अनंतवीरज भद्रकृत भव भव सेव ॥शाए॥ ए तीर्थकर आगै होस्यै गुण अभिराम, समयसुन्दर तेह अवस्था करे प्रणाम ॥६॥ए०॥ श्री अतीत चौवीसी स्तवन
राग-प्रभाती केवलज्ञानी नई निर्वाणी,
सागर महायश विमल वखाणी ॥ के० ॥१॥ सर्वानुभूति श्रीधर दत्त नामी,
दामोदर श्री सुतेज स्वामी ॥ के० ॥२॥ मुनिसुव्रत सुमति शिवगति वर,
अस्ताग नमीश्वर अनिल यशोधर । के० ॥३॥ कृतार्थ जिनेश्वर शुद्धमति शिवकर,
स्पंदन संप्रति चौवीसे तीर्थकर ॥ के० ॥४ अतीत चौवीसी जग विख्याती,
समयसुन्दर प्रणमत प्रभाती ॥ के० ॥५ [कृतम् श्री सिद्धपुरे, स्वयं लिखित पत्र से]
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