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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
-xs[0]*xश्री वर्तमान चौवीसी स्तवन जीव जपि जपि जिनवर अंतरयामी । जी० । ऋषभ अजित संभव अभिनन्दन,
सुमति पदमप्रभु शिवपुर गामी॥१॥जी॥ सुविधि शीतल श्रेयांस वासुपूज्य,
विमल अनंत धरम हितकामी । शांति कुन्थु अर मल्लि मुनिसवत,
नमि नेमि पार्श्व महावीर स्वामी ॥२॥जी॥ चौवीस तीर्थंकर त्रिभुवन दिनकर,
नाम जपत जाके नवनिधि पामी। मन वंछित सुख पूरण सुरतरु,
प्रणमत समयसुन्दर सिर नामी ॥३॥जी॥ श्री अनागत चौवीसी स्तवन
राग-प्रभाती ए अनागत तीर्थंकर चौवीस जिन, ___ प्रह उठी नई नाम लेतां सफल दिन ॥११॥ ए.॥
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