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10/प्राकृत कथा-साहित्य परिशीलन
8. रत्नककरण्ड श्रावकाचार, अधिकार १, श्लोक 43-46। 9. मुनि श्री कन्हैयालाल 'कमल': "गणितानुयोग', आगम अनुयोग प्रकाशन, सांडेराव। 10. आवारांगसूत्रः सं. श्रीचन्द सुराना "सरस", आगम प्रकाशन समिति ब्यावर, 19801 11. हर्मन जैकोबी: द सेक्रेड बुक्स ऑफ द ईस्ट, भा. 22. भूमिका, पृ.48। 12. आचारांगसूत्र, सं. जम्बूविजय जी. बम्बई, अ. 6,उ.11 13. आचारांग चूर्णि एवं टीका। 14. मज्झिमनिकाय, भाग 3. बालपण्डितसुत्त, पृ. 239-401 15. यदा संहरते चायं कूमोअंड्गानीव सर्वशः । ___ इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।। -श्रीमद्भगवद्गीता. 2.58 16. कायस्स वियावाए एस संगामसीसेवियाहिए। से हु पारंगमे मुणी। -आचाराग, 6.5 17. सूत्रकृतांगसूत्र, सं.अमरमुनि मानसामण्डी, 1979, भूमिका । 18. सूत्रकृतांगसूत्र, अ. 6, गाथा 15-241 19. सूत्रकृतांग, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, प्रथम अध्ययन, सूत्र 638 से 6441 20. उपाध्ये, डा.ए.एन.,बहतकथाकोश, भूमिका। 21. सूत्रकृतांग, सं. श्रीचन्द सुराना 'सरस', ब्यावर, 1982 22. स्थानांगसूत्र, स्थान 8, 625 सूत्र 23. वही, स्थान 8, 626 सूत्र 24. समवायाग-- गुजराती रूपान्तर,पं. दलसुख मालवणिया, अहमदाबाद । 25. शास्त्री, डा. नेमिवन्द्र, हरिभद्र के प्राकृत कथा साहित्य का परिशीलन, वैशाली, पृ.7। 26. शास्त्री, देवेन्द्रभुनि, जैन आगम साहित्य: मनन और मीमांसा. पृ. 125। 27. भगवतीसूत्र, मंगलपद ! 28. सिकदर, जे.सी., ए क्रिटिकल स्टडी आफ भगवतीसूत्र, वैशाली,द्रष्टव्य । 29. ज्ञाताधर्मकथा, सं.पं. शोभाचन्द्र भारिल्ल, ब्यावर, 1982 1 30. ज्ञाताधर्मकथा (गुजराती अनुवाद, गोपालदास) भूमिका। 31. उवासगदसाओ- सं. डा. छगनलाल शास्त्री, ब्यावर, 1981 32. उपासकदशासूत्रम्- (अंग्रेजी अनुवाद) डा. ए.एफ. हानले, कलकत्ता 33. अन्कृद्दशा- सं. डा. साध्वी दिव्यप्रभा, ब्यावर, 1981 34. अनुत्तरोपपातिकदशा- सं. डा. साध्वी मुक्तिप्रभा, ब्यावर, 1981 35. विपाकसूत्र, सं. डा.पी.एल. वैद्य, पूना 36. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि, जै. आ.सा., पृष्ठ 192
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