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- लीलावईकहा
-सरवण्णणं :
जोहाऊरिय- कोस- कंति-धवले णिव्विग्धं घर-दीहियाए सुरसं सुमंजु - गुंजिय-रवो
सव्वंग-गंधुकडे । वेवंतओ मासलं ||२४|| (ब) तिगिच्छि - पाणासवं ।
आसाएइ उम्मिल्लंत-दलावली परियओ
चंदुज्जुए छप्पओ ||२४|| (स)
इमिणा सरण ससी ससिणा वि जिसा गिसाए कुमुय-वणं । कुमुय-वणेण व पुलिणं पुलिणेण व सहइ हंस - उलं ॥२५॥ व-बिस-कसायसं सुद्ध-कंठ-कल-मोहरो सरय-सिरि-चलण-उर-राओ
णिसामेह |
हंस - संलावो ||२६|| णिव्वविओ । पवणो ||२७||
संचरइ
इव
सीयलायंत-सलिल-कल्लोल-संग
चंदुज्जयावसं निम्मल-तारालोयं
दर-दलिय-मालई-मुद्ध-मउल-गंधुद्ध रो
-वहु aur - विसेसावलि व सर-सलिले ।
एसा वि दस - दिसा - बिम्बल-तरंग-दोलंत-पायवा
सहइ
वण - राई ||२८||
एयाइ दियस संभावणेक्क-हियाइ पेच्छह घ ंति । आमुक्क-विरह-वयणाई चक्कवायाई
वावी ॥ २९ ॥
एयं उय
वियसिय-सत्तवत्त-परिमल-विलोहविज्जंतं ।
अविहाविय कुसुमासाय- विमुहियं भमइ भमर - उलं ||३०||
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३१
पवियंभिय- सुरहि-कुवलयामोयं ।
पियइ व रयणी - मुहं चंदो ||३१||
ताकि बहुणा पपिए -
अइ-रगणीया रयणी सरओ विमलो तुमं च साहीणो । अणुकूल - परियणाए मण्णे तं णत्थि जं णत्थि ||३२||
कहा- सरूवं :
ता किं पि पओस - विणोय-मत्त सुहय म्ह मणहरुल्लावं । साह अउव्व-कहं सुरसं महिला- यण-मणोज्जं ||३३|| तं मुद्धमुहं बुरूहाहि वयणयं णिसुणिऊण णे भणियं । कुवलय-दलच्छि एत्थं कईहि तिविहा कहा भणिया ||३४|| तं जह दिव्वा तह दिव्व - माणुसी माणुसी तह च्चेय । तत्थ वि पढमेहिं कयं कहि फिर लक्खणं किं पि ॥ ३५ ॥
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