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महइमहालयानो इट्ठगरासीमो एगमेगं इट्टगं गहाय बहिया रत्थापहाम्रो अतोगिहं अणुप्पविसमारणं पासइ ।।
तए णं से कण्हे वासुदेवे तस्स पुरिसस्स अणुकंपणट्टाए हत्थिखंधवरगए चेव एग इट्टगं गेण्हइ, गिण्हित्ता बहिया रत्थापहामो अतोघरंसि अणुप्पवेसिए।
तए रणं कण्हेणं वासुदेवेणं एगाए इट्ठगाए गहियाए समारणीए अणेगेहिं पुरिसेहिं से महालए इट्टगस्स रासी बहिया रत्थापहाम्रो अतोघरंसि अणुप्पवेसिए।
__ तए णं से कण्हे वासुदेवे बारवईए नयरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ ।
अभ्यास
1. शब्दार्थ :
तवरिणज्ज = स्वर्ण खइए = व्याप्त भूसियं = क्लान्त
परहुय = कोयल संड = कमलवन महालए बड़े
दिवागर= सूर्य सेय = सफेद रासि = समूह
2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : 1. श्रीकृष्ण ने वृद्ध की सहायता की(क) यश पाने के लिए (ख) बड़प्पन दिखाने के लिए (ग) वृद्ध का काम बंटाने के लिए (घ) मित्रों को प्रेरणा देने के लिए [ ]
: अन्तकृद्दशा (सं.-साध्वी दिव्यप्रभा), ब्यावर,1981,पृ० 81-82
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प्राकृत गद्य-सोपान
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