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नियम : कारक शब्दरूप षष्ठी विभक्ति: नियम 1 : षष्ठी विभक्ति के एकवचन में सर्वनाम अम्ह का मझ और तुम्ह का तुझ
रूप बनता है। नियम 2 : पुल्लिग तथा नपुसकलिंग सर्वनाम एवं अकारान्त संज्ञा शब्दों के षष्ठी
विभक्ति एकवचन में स्स प्रत्यय जुड़ता है । जैसे :सर्वनाम त =तस्स इम= इमस्स क =कस्स पु०सं० पुरिस= पुरिसस्स गर=णरस्स छत्त = छत्तस्स
नपुसं0 जल =जलस्स फल= फलस्स घर -घरस्स नियम 3 : पुलिलग तथा नपु० इकारान्त एवं उकारान्त शब्दों के आगे गो प्रत्यय जुड़ता है। जैसे :
कवि-कविरगो दहि-दहिरणो सुधि=सुधिरणो हस्थि=हत्थिरणो वत्थु =वत्थरणो नियम 4 : (क) स्त्रीलिंग आकारान्त सर्वनाम तथा संज्ञा शब्दों के आगे षष्ठी एक
वचन में अप्रत्यय जुड़ता है। जैसे :ता+अ-ताम माला+अ=माला, इमाअ, बालाअ आदि। (ख) स्त्री० इ, ईकारान्त शब्दों के आगे प्रा प्रत्यय एवं उ, ऊकारान्त शब्दों के आगे ए प्रत्यय जुड़ता है। जैसे :पा = जुवईआ, नईश्रा, साडीया
ए = धेण ए, बहूए, सासूए आदि । नियम 5 : पु०, नपुं० तथा स्त्री० सर्वनाम एवं संज्ञा शब्दों के षष्ठी बहुवचन में रण
प्रत्यय जुड़ता है तथा शब्द का ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे :सर्वनाम- तुम्ह= तुम्हाण, अम्ह=अम्हारण, त=ताण, इमा=इमारण । पु०नपु०-पुरिसारण, सुधीरण, सिसूरण, दहीग्ण, वत्थूरण ।
स्त्रो० – मालाण, बालारण, जुवईण, साडीरण, बहूण। चतुर्थी विभक्ति : नियम 6 : प्राकृत में चतुर्थी विभक्ति में सभी सर्वनाम एवं संज्ञा शब्द षष्ठी विभक्ति
के समान ही प्रयुक्त होते हैं ।
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प्राकृत गद्य-सोपान
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