________________
सो विज्जलये पढ ते घरे वसन्ति छत्ते विनयं प्रत्थि गरे सत्ती प्रत्थि
नई नावा तरन्ति
तुज्भ पढ अहिलासा प्रत्थि मज्भ धम्मे वीसासो प्रत्थि
कमले भमरो अत्थि
8. उदाहरण वाक्य
सत्थे विज्जा वसई जग पुत्ते सिहं करइ मज्भ गुरुम्मि मायरो प्रत्थि रामो विज्जाए निपुणो अतिथ सो पढ लग्गो कवी कालिदास सेट्टो
प्राकृत गद्य-सोपान
==
Jain Educationa International
अभ्यास
[ सप्तमी विभक्ति ]
वह विद्यालय में पढ़ता है । बेघर में रहते हैं ।
छात्र में विनय है । मनुष्य में शक्ति है । नदियों में नाव तैरती हैं । तुम्हारी पढ़ने में अभिलाषा है । मेरा धर्म में विश्वास है ।
(क) प्राकृत में अनुवाद करो :
मनुष्य में जीवन है । विद्यालय में छात्र हैं । बालक में विनय है । जल में कमल हैं । उसकी खेलने में रुचि है । तुम्हारा मोक्ष में विश्वास है। माता कन्या पर स्नेह करती है । मोहन की पिता पर श्रद्धा है। सोहन शास्त्र में निपुण है । वह कार्य में लगा है ।
(ख) नियम याद करें एवं उदाहररण शिक्षक से समझें :
1- आधार स्थान में सप्तमी विभक्ति होती है ।
2- किसी विषय में रुचि, विश्वास, श्रद्धा, आदर, स्नेह आदि के साथ सप्तमी
कमल पर भौंरा है ।
शास्त्र में विद्या रहती है । पिता पुत्र पर स्नेह करता है । मेरा गुरु पर आदर है ।
राम विद्या में निपुण है ।
वह पढ़ने में लगा है । कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है ।
होती है ।
3- संलग्न एवं चतुर अर्थ वाले शब्दों के साथ सप्तमी होती है ।
4- तुलना के अर्थ में षष्ठी, सप्तमी दोनों विभक्ति होती हैं ।
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org