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देकर रखे गये थे, जो वहाँ तालाचर (मनोरंजन) कार्य करते हुए रहते थे। राजगृह से निकलने वाले बहुत से लोग वहाँ पर पहले से बिछे हुए आसनों पर, शयनों पर बैठकर या लेटकर संतुष्ट होते हुए कथा सुनते हुए, नाटक देखते हुए और वहाँ की शोभा देखते हुए सुखपूर्वक विचरण करते थे।
भोजनशाला
तव नंद मरिणकार सेठ ने बगीचे के दक्षिणखण्ड में एक बड़ी महानसशाला (भोजनशाला) बनवाई। वह अनेक सैकड़ों खंभोंबाली, प्रसन्न करने वाली, दर्शनीय, सुन्दर एवं अनुपम थी । वहाँ पर बहुत से लोग जीविका, भोजन, वेतनभोगी थे, जो विएल भोजन, पान, खाने योग्य, स्वाद लेने योग्य पदार्थों को बनाते थे। वे बहुत से श्रमण, ब्राह्मण. अतिथि, दरिद्रों. और भिखारियों को भोजन कराते हुए वहाँ रहते थे।
चिकित्साशाला
तव नंद मणिकार सेठ ने पश्चिम दिशा के बगीचे में एक विशाल चिकित्साशाला (अस्पताल) बनवायी । वह अनेक खंभोंवाली सुन्दर थी । वहाँ पर अनेक वैद्य, वैद्यपुत्र, ज्ञायक (वैद्यगिरि के जानकार), ज्ञायकपुत्र, कुशल (चिकित्सा में विशेषज्ञ), कुशलपुत्र आजी वका, भोजन और वेतन पर नियुक्त थे । वे बहुत से व्याधित, (मानसिक रोगी) ग्लानों, रोगियों और दुर्बलों की चिकित्सा करते रहते थे । वहाँ पर दूसरे भी बहुत से लोग आजीविका, भोजन और वेतन देकर नियुक्त किये गये थे, जो उन रोगियों की औषधि, भेषज (मिश्रण), भोजन और पानी देकर सेवा, परिचर्या करते हुए रहते थे।
अलंकार-सभा
उसके बाद उस नंद मणिकार सेठ ने बगीचे की उत्तर दिशा में एक विशाल अलंकार-सभा (सेवा-केन्द्र) बनवायी । वह भी अनेक सैकड़ों खंभो से सुन्दर थी। उसमें
प्राकृत गद्य-सोपान
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