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असि । अहं उण तुला विअ लद्धक्खरा वि ण सुवण्णतुलणे
रिणउज्जीग्रामि। विऊसपो - एवं मं हसंतीए तुह वामं दक्खिणं च जुहिटिरजेट्ठभाअर
रणामहे अंग तडत्ति उप्पाडइस्सं । विभक्खरणा- अहं पि उत्तरफग्गुणीपुरस्सर-णक्खत्तणामहे अंग तुह
तडत्ति खंडिस्सं । राम्रा - वास्स ! मा एवं भरण । कइत्तणे ठिदा एसा । विऊसनो - (सकोहं ) ता उजु जेव किं रण भणीअदि अम्हाणं चेडिया
हरिउड्ढ-णंदिउड्ढ-पोट्टिस-हालप्पहुदीणं पि पुरिदो सुकइ त्ति ।
अभ्यास
1. प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए :
1. विचक्षणा ने विदूषक की कविता में क्या दोष बतलाया ? 2. विदूषक ने विचक्षणा की कविता में क्या दोष बतलाया ? 3. विचक्षणा ने विदूषक के साथ अपनी तुलना किस उदाहरण को देकर की ?
2. निबन्धात्मक प्रश्न : (क) इस कथोपकथन की भाषा के सम्बन्ध में अपने शिक्षक से समझे और
और उसकी विशेषताए' लिखें। (ख) इस पाठ में प्रयुक्त उपमाओं की एक सूची बनाईए। (ग) अच्छी कविता में दो गुण कौन-से प्रमुख हैं, इस पाठ के आधार पर
लिखिए।
• कर्पूरमंजरी (सं.-डॉ. आर. पी. पोद्दार), वैशाली, 1974, प्रथम जवनिका, पृ.
138-139 से उद्ध त ।
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प्राकृत गद्य-सोपान
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