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अभ्यास
१. शब्दार्थ : .
कोवरण = क्रोधी गाण = ज्ञान गुरु = बड़े लोग परणइयण = प्रेमीजन वसण = विपत्ति दोहग्गं = दुर्भाग्य
नाइ = कुल पर = अन्य इट्ट = इच्छित फुड = स्पष्ट परणय- विनम्र बसण-- अभ्यास
मय = घमण्ड दुहिय = दुखी परियण= सहकर्मी त्थद्धा = स्थित सुहयत्तरग-अच्छापन सत्थ = शास्त्र
२. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
शब्दरूप मूल शब्द सज्जेरण
विभक्ति
वचन
लिग
पावं
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दोणम्मि वयणं उयही तंतू संधिवाक्य रिणरणुकंपा रयणायरो
संधिकार्य अ+अ-अ अ+आ=आ
विभक्ति गिर + अणुकंपा रयण +आयरो
विग्रह जाइगो+गव्वं ......"+""""
समासपद जाइगव्वं
समासनाम ष० तत्पुरुष
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धरणमयं
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सुपुरिसमग्गो परवसरणं सुयरणमझे सिणेहतंतू
सुयणे +मज्झे
सप्तमी त०
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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