________________
अभ्यास १. शब्दार्थ : लच्छी = सम्पत्ति
अहम = नीच जरगरणी = माता
जरण्य = पिता विउला = बहुत वच्छ = पुत्र तुम्हारिस = तुम्हारे जैसे दुग्गो = कठिन समेन = सहित अहिणव= नया ।
बद्दलयं = बादल खलु = दुर्जन । २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप मूलशब्द विभक्ति
समयम्मि बुद्धीए
प्रज्जरण = कमाना ताई = वे प्रोवाइय = उपाय निच्छयं = निश्चय वा = हवा निज्जामय = मल्लाह
वचन
लिग
........
........
चलणे
:
धीरपुरिसाण धरणाई सियवडे
:
सियवड
प्रथमा
ब०व०
पु०
संधिवाक्य
संधिकार्य अ+अ=अ
अहन्न जयज्जिय उच्छाहुल्हसिय दिन्नासीसो
अ+उ=उ
(ग)
विच्छेद अह +अन्न जणय +अज्जिय उच्छह + उल्हसिय दिन +आसीसो
विग्रह निसा+सेसे गुणारण + समूहेण पियरेण +विढत्तधणं जलस्स +मग्गेण सुहेण +लालियाण
समासपद निसासेसे गुणसमूहेण पियरविढत्तधणं जलमग्गेणं सुहलालियारण
समासनाम ष० तत्पुरुष
................
प्राकृत काव्य-मजरो
Jain Educationa international
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org