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अभ्यास १. शब्दार्थ :
एग = एक वट्टइ = था दुमं = वृक्ष
पेरंत = काँपते हए वग्ध = बाघ
दूत्तडि= दो किनारे वीसत्थ = विश्वासयुक्त उच्छंग= गोद छ हारम= भूखा कयग्ध= कृतघ्न हरि = सिंह निविण्ण= खिन्न छेयत्तण = चतुराई कडी = पेट [गोद]
कट्ठ = लकड़ी गत्त = शरीर नाम
== न्याय गाढं = अधिक पडिलोम= विपरीत कथन पह = रास्ता सत्य = काफला
वचन
लिंग
ए०व०
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२. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
शब्दरूप मूलशब्द विभक्ति पुरिसो पुरिस
प्रथमा सीहो अडवि तम्मि सिरं वाणरीए सद्देणं संधिवाक्य
विच्छेद सरणागयं
सरण+आगयं तस्सुच्छंगे
तस्स +उच्छंगे अहमेयं
अहं +एवं तवावि
तव +अवि उभयंतरे
उभय +अंतरे समासपद
विग्रह कट्ठनिमित्तं
कट्ठस्स+ निमित्तं माणुसभावस्स माणुसस्स+भावस्स
संधिकार्य अ+ आ -आ अ+उ =उ अनुस्वार को म
अ+अ=आ अ+अ-अ
समासनाम षष्ठी तत्पुरुष षष्ठी तत्पुरुष
प्राकृत काव्य-मंजरी
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