SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ........ ........ (घ) क्रियारूप मूल क्रिया काल वचन परिणम परिणम वर्तमान अ.पु. ए.व. अच्छइ पेच्छ कुरासु कृदन्त अर्थ पहिचान प्रत्यय पाढिया पढ़ाये गये भूतकाल दिट्ठारिण देखे गये अनियमित - भणियं कहा गया आगया ३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : १. पिता ने अपने दोनों पुत्रों को किसके पास पढ़ने भेजा - (क) कलाचार्य के पास (ख) गणित शिक्षक के पास (ग) नैमित्तकशास्त्र के जानकार के पास (घ) राजा के पास [ ] २. रास्ते से गयी हुई हथिनी कानी है यह जाना गया - (क) किसी जादू से (ख) एक ही किनारे के पत्ते खाने से (ग) किसी के कहने से (घ) आपस में सलाहकर [ ] आयी ४. लघुत्तरात्मक प्रश्न : प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए : १. वृद्धा ने उन शिष्यों से क्या पूछा ? २. वृद्धा का घड़ा टूट जाने पर पहले शिष्य ने उसे क्या कहा ? ३. दूसरे शिष्य ने माता से पुत्र मिलने का अनुमान किस घटना से किया ? ५. निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण : - (क) 'शिक्षा-विवेक' पाठ की कथा ५-७ पंक्तियों में लिखिए । (ख) इस पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ? (ग) गाथा नं० १६ या १७ का अर्थ समझाकर लिखिए । प्राकृत काव्य-मंजरी ५१ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy