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नियम : कारक षष्ठी विभक्तिः नियम २३ : षष्ठी विभक्ति के एकवचन में सर्वनाम अम्ह का मज्झ और तुम्ह का तुज्झ
रूप बनता है। नियम २६ : पुलिल्ग तथा नपुंसकलिंग सर्वनाम एवं अकारान्त संज्ञा शब्दों के षष्ठी
विभक्ति एकवचन में स्स प्रत्यय जुड़ता है। जैसे :सर्वनाम त =तस्स इम= इमस्स क =कस्स पु० सं० पुरिस-पुरिसस्स गर=णरस्स छत्त = छत्तस्स
नपुसं. जल =जलस्स फल-फलस्स घर =घरस्स नियम २७ : पुल्लिग तथा नपु० इकारान्त एवं उकारान्त शब्दों के आगे गो प्रत्यय
जुड़ता है। जैसे :सिसु=सिसुणो कवि=कविणो दहि दहियो
सुधि=सुधिरणो हत्थि=हत्थिरणो वत्थुवत्थुरणो नियम २८ : (क) स्त्रीलिंग आकारान्त सर्वनाम तथा संज्ञा शब्दों के आगे षष्ठी एक
वचन में अप्रत्यय जुड़ता है। जैसे :ता+अ=तान माला+अ=माला, इमाअ, बालास आदि । (ख) स्त्री० इ, ईकारान्त शब्दों के आगे पा प्रत्यय एवं उ, ऊकारान्त शब्दों के आगे ए प्रत्यय जुड़ता है। जैसे :
प्रा = जुवईआ, नईआ, साड़ीसा ।
ए = धेरण ए, बहूए, सासूए आदि । नियम २६ : पु०, नपु० तथा स्त्री० सर्वनाम एवं संज्ञा शब्दों के षष्ठी बहुवचन में
रण प्रत्यय जुड़ता है तथा शब्द का ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है । जैसे :सर्वनाम-तुम्ह=तुम्हारण, अम्ह-अम्हारण, त=तारण, इमा=इमारण । पु०नपुं०-पुरिसाण, सुधीरण, सिसूण, दहीरण, वत्थूण ।
स्त्री० -मालाण, बालाण, जुवईण, साडीण, बहूरण । चतुर्थी विभक्ति : नियम ३० : प्राकृत में चतुर्थी विभक्ति में सभी सर्वनाम एवं संज्ञा शब्द षष्ठी विभक्ति
के समान ही प्रयुक्त होते हैं ।
प्राकृत काव्य-मंजरी
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