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७. सरोवर
[चतुर्थी विभक्ति]
इमं गामस्स सरोवरं अस्थि । तत्थ जणा गहाणं करिउं गच्छन्ति । तस्स जलं जणस्स अत्थि । सरोवरे कमलाणि सन्ति । ताणि कमलाणि मज्झ सन्ति । सरोवरस्स तडे रुक्खा सन्ति । ताण पुप्फाणि तुज्झ सन्ति । ताण फलाणि तस्स सन्ति । ताप बाला सरोवरे किं अत्थि ? तत्थ अम्हाण देवमन्दिरं अस्थि । अत्थ तुम्हाण सज्झायसाला अत्थि । ताण बालपारण तत्थ रम्म उववनं अत्थि । तत्थ ते खेलन्ति ।
सरोवरे हंसा चलन्ति । जलस्स जंतुणा तत्थ निवसन्ति । तत्थ कविणो सुहं हवइ । सो तत्थ कव्वं लिहइ । सरोवरस्स तडे साहुणा वसन्ति । णि वो साहुणो भोअरणं देई । तत्थ णरा कवीण वत्थूणि देन्ति । कवी बालाप फलं देइ । तत्थ सिसू फलस्स कंदइ। सरोवरस्स जलं कमलस्स अस्थि । तस्स वारि खेत्तस्स अस्थि । खेत्तस्स धन्न घरस्स अस्थि । सरोवरं णरस्स जीवणस्स बहुमुल्लं अत्थि। तं गामस्स सोहं अस्थि ।
अभ्यास
(क) पाठ से चतुर्थी विभक्ति के शब्दरूप छांटकर उनके अर्थ लिखो :
जणस्स= लोगों के लिए मज्झ =मेरे लिए ......."= .. ... ... ... ........ ........ ........ ......... ............... ....... ........
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(ख) प्राकृत में अनुवाद करो:
यह कमल मेरे लिए है। वह कमल उसके लिए है। ये वस्तुएँ उन स्त्रियों के लिए हैं। यह दूध बालक के लिए है। वे कुलपति के लिए नमन करते हैं। हम साधुओं के लिए भोजन देते हैं। वह बालिका के लिए माला देगा। माता युवति के लिए साड़ी देती हैं । सास बहुओं के लिए उपदेश देती है। यह वस्तु घर के लिए है । वह घर शास्त्रों के लिए है।
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प्राकृत काव्य-मजरी
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