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________________ ..........." पढ ............ भरण पढ प्रभ्यास 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो : मूल क्रिया कृदन्त प्रत्यय कृदन्तरूप लिग/निर्देश (क) पढ सम्बन्ध इ+ ऊरण पढिऊरण पढकर .mmmm.... हस हेत्वर्थ इ+उं पढि पढने के लिए जाण नम वर्तमान न्त पढन्त पढन्तो (पु.) जाण ....... (स्त्री०) नम ........ (नपु०) पुच्छ मारण ....... (पु०) ........ (स्त्री०) इ+ पढि पढिओ (पु.) नम ....."(नपु०) दिट्र अ दिट्ठो (पु.) क क कअं (नपुं०) भविष्य इ+स्संत पहिस्संत पढिस्संतो (पु.) लिह ............ ....... (नपुं०) (च) पढ योग्यता अणी पढणी पढणीओ (पु०) रक्ख ......... (स्त्री०) भरण ए+अव्व ......... (नपुं०) २. प्राकृत में अनुबाद करो : मैं हँसकर नमन करता हूँ। तुम लिखकर पढ़ो। उसने वहाँ जाकर पत्र लिखा। वह खेलने के लिए वहाँ जाय । तुम पढ़ने के लिए आते हो। हम सब नमन करने के लिए वहाँ गये। पढ़ता हुआ छात्र आता है । नमन करती हुई बालिका जाती है । हँसता हुआ मनुष्य है। वह पढ़ा हुआ ग्रन्थ है। वह वहाँ गया। पढ़ने योग्य पुस्तक है। कार्य किया जाना चाहिए। भूतकाल पढ ... ........ प्राकृत काव्य-मंजरोआ. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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