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[3] मिश्रित प्रयोग (संज्ञा पाठ)
एकवचन
=
बालो खिप्पं चलइ सुही किं ग जागइ गुरू कत्थ गच्छइ बाला सया पढइ जुवई किं पुच्छइ बहू तत्थ गच्छइ मित्तं अत्थ लिहइ घरं तत्थ अस्थि इमं पोत्थग्रं अत्थि तं मित्तं अत्थि
बालक शीघ्र चलता है । मित्र क्या नहीं जानता है ? गुरु कहा जाता है ? बालिका सदा पढ़ती है। युवति क्या पूछती है ? बहु वहाँ जाती है। मित्र यहाँ लिखता है। घर वहाँ है। यह पुस्तक है। वह मित्र है।
बहुवचन
॥
॥
छत्ता तत्थ पढन्ति
छात्र वहाँ पढ़ते हैं। सुहिणो अत्थ बोल्लन्ति
मित्र यहाँ बोलते हैं। गुरुणो सव्वं जाणन्ति
गुरु सब जानते हैं। बालानो अप्पं बोल्लन्ति
बालिकाएँ थोड़ा बोलती हैं। जुवईअो पातो जग्गन्ति
युवतियाँ प्रातः जागती हैं। मित्तारिण ण गच्छन्ति
मित्र नहीं जाते हैं। वत्थूरिण कत्थ सन्ति
वस्तुएँ कहाँ हैं ? तारिण घराणि सन्ति
वे घर हैं। के नरा गच्छन्ति
कौन मनुष्य जाते हैं ? बहूयो अत्थ नमन्ति
= बहुएँ यहाँ नमन करती हैं ।
नये शब्द सीखें : छत्त = छात्र सिक्ख = सीखना सीह = सिंह कुलवइ = कुलपति उवदिस = उपदेश देना बहिणी= बहिन सिसु = बच्चा सोह = शोभित होना घेण. = गाय मोर = मोर लज्ज = लजाना कया = कब
प्राकृत काव्य-मंजरी
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