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________________ नियम : संज्ञा शब्द (पु०, स्त्री०, नपुं०) प्रथमा विभक्ति पुल्लिग शब्द : नियम ६ : पुरुषवाचक संज्ञा शब्दों में अकारान्त शब्दों के आगे प्रथमा विभक्ति के एकवचन में प्रो तथा बहुबचन में प्रा प्रत्यय लगता है। जैसे :बाल +ओ=बालो (एन्व०) बाल +आबाला (बव०) पुरिस + ओ=पुरिसो ( " ) पुरिस +आपुरिसा ( " ) देव +औ=देवो ( " ) देव +आ=देवा ( " ) नियम ७ : इ इरान्त एवं उकारान्त शब्दों के इ एवं उ प्रथमा विभक्ति के एकवचन में दीर्घ हो जाते हैं तथा बहुवचन में मूल शब्दों में जो प्रत्यय जुड़ जाता है। जैसे :इकारान्त उकारान्त एव० ब०व० एव० ब०व० सुहि =सुही सुहियो गुरु =गुरु गुरुपो कवि =कवी कविणो सिसु=सिसू सिसुरणो हत्थि हत्थी हथिणो साहुसाहू साहुरणो स्त्रीलिंग शब्द : नियम + : स्त्रीलिंग आकारान्त शब्द प्रथमा विभक्ति के एकवचन में यथावत् रहते हैं तथा बहुबचन में उनमें प्रो प्रत्यय जुड़ जाता है। जैसे :बाला-बाला (ए०व०) बाला+ओबालानो (ब-व०) माला=माला ( " ) माला+औ=मालानो ( " ) नियमह : इकारान्त एवं उकारान्त शब्दों के इ एवं उ प्रथमा विभक्ति के एकवचन में दीर्थ हो जाते हैं । दीर्घ ई ऊ दीर्घ ही रहते हैं तथा बहुवचन में मूल शब्द में दीर्घ होने के बाद प्रो प्रत्यय जुड़ जाता है। नपुसकलिंग शब्द: नियम १० : नपुसकलिंग संज्ञा एवं सर्वनामों के आगे प्रथमा विभक्ति के एकवचन में अनुस्वार (') प्रत्यय लगता हैं तथा बहुवचन में अ, इ, उ दीर्घ होने के बाद रिण प्रत्यय लगता है । क सर्व• एकवचन में किं होता है। १२ प्राकृत काव्य-मंजरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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