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प्राकृत और हिन्दी :
प्राकृत
उक्खल कहारो खड्डा चोक्खं डाली पोट्टली सलोणा कड्ढ
हिन्दी ओखली कहार खड्डा चोखा डाली पोटली सलोना काढ़ना चूकना देखना
प्राकृत उल्लुट्ट कोइला चाउल डोरो भल्ल पत्तल बड्डा
हिन्दी उलटा कोयला चाँवल डोरा भला पतला बड़ा कूदना
चुक्क
छूटना
भुल्ल
उड़ना
देक्ख उड्ड बुज्झ चमक्क
भूलना कूटना डसना लुकना
बूझना
डंस
चमकना
लुक्क
ཟླ
इस प्रकार प्राकृत भाषा का विकास किसी क्षेत्र या काल विशेष में पाकर रुका नहीं है । अपितु प्राकृत ने प्रत्येक समय की बहुप्रचलित जन-भाषा के अनुरूप अपने स्वरूप को ढाल लिया है। हर युग की भाषा और उसके साहित्य के विकास में प्राकृत ने अपना योगदान किया है। यही कारण है कि प्राकृत देश को इन सभी भाषाओं के साथ अपना सम्बन्ध कायम रख सकी है। अतः प्राकृत भाषा के अध्ययन एवं शिक्षण से देश की विभिन्न भाषाओं के प्रचार-प्रसार को बल मिलता है। देश की अखण्डता और चिन्तन की समन्वयात्मक प्रवृत्ति प्राकृत भाषा के माध्यम दृढ़ की जा सकती
प्राकृत काव्य-मंजरी
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