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________________ मूलक्रिया काल वचन रगम क्रियारूप रगमय कृदन्तरूप उप्परको जंपिअं (इ) ए०व० प्रत्यय अर्थ उत्पन्न हुआ कहा गया पुरुष म०पु० मूलकिया उप्परण जंप पहिचान भू.कृ. भू०० अ इ+अ हसि ........ ........... ...... ........ .. . . संभरि धरिआ पालिओ पालन किया गया भू०० णमंतेण नमस्कार करते हुए भू०० फुरंतरण पाल रगम इ+अ न्त ... .... ३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : १. राजा कक्कुक का क्रोध था - (क) स्थायी (ख) दुखदायी (ग) क्षणिक (घ) भयंकर [] २. उस राजा ने जनता में नहीं फैलने दिया - (क) बीमारी को (ख) निन्दा और निर्लज्जता को (ग) गरीबी को (घ) शत्रुओं को [ ] ४. लवुत्तरात्मक प्रश्न : प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए : १. राजा कक्कुक किसका पुत्र था ? २. यह शिलालेख कहाँ और कब लिखवाया गया है ? ३. कक्कुक राजा बच्चों, युवकों और वृद्धों के लिए क्या था ? ५. निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण : शिलालेख में उल्लिखित राजा के कार्यों को लिखिए। (ख) गाथा नं० १०, ११ एवं १२ का अर्थ समझाकर लिखिए । प्राकृत काव्य-मंजरी १२७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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