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जगं = संसार विण= विनय चरिद = आचरण वेस = शत्रु रिणयदं= निश्चित प्रस्थ = धन
वचन
लिग
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अभ्यास १. शब्दार्थ :
अप्पं = थोड़ा खेत्तं = क्षेत्र . असेसं = सम्पूर्ण सिक्खा - शिक्षा सोस = सिर वाया = वाणी गहवई = सूर्य पर = दूसरा प्रकज्ज = अनुचित करण = आचरण
सयरण = स्वजन जस = यश २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप मूलशब्द विभक्ति
महानईओ बिन्दुहि सिक्खाए गुरणं गहवइणो कोण संधिवाक्य
विच्छेद गारगुज्जोको
...... ........ खेत्तमप्पं जगमसेसं कुसुममगंधमिव कहणमुब्भासणं
........ ठवेदुमिच्छेज्ज
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संधिकार्य
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विग्रह
समासनाम
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समासपद विरणयफलं दुज्जरणसंसग्गी सम्बकल्लारणं
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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