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________________ काल वचन क्रियारूप वच्चइ ओसर मूलक्रिया .... .......... ओसर ........ आज्ञा म०पु० अ०पु० ए०व० ए०व० देइ व०का० परिभमइ चिन्तेइ अर्थ मारता हुआ मूलक्रिया मार प्रत्यय ए+न्त देखा पहिचान व०कृ० भू०० सं०कृ० भू०० मारेन्तो पलोइयं दट्ठ चिन्तियं अनियमित देखकर सोचा चिन्त इ+य ३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : र का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए: १. नगर में कोलाहल का कारण था - (क) राजकुमार का आगमन (ख) शत्रु की सेना (ग) पागल हाथी (घ) बिजली का गिरना [ ] २. हाथी पर चढ़ा हुआ वह कुमार था - (क) महावत की तरह (ख) राजा की तरह (ग) साधु की तरह इन्द्र की तरह [ ] ४. लघुत्तरात्मक प्रश्न : प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए : १. पागल हाथी ने नगर को क्या नुकसान पहुँचाया ? २. राजा ने विजयी कुमार को देखकर क्या पूछा ? ३ विनय से सज्जन पुरुष किसकी तरह झुक जाते हैं ? ५. निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण : (क) अगडदत्त और हाथी की लड़ाई का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (ख) गाथा नं० १४, १५, १६ एवं १७ का अर्थ समझाकर लिखो। प्राकृत काव्य-मंजरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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