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________________ * सुरिण कुमार - सद्दं दन्ती पज्झरिय-मय- जल पवाहो । तुरियो पहावियो सो कुद्धो कालो व कुमरस्स ||६|| कुमरे य पाउरणं संवेल्लेऊण हिंदु-चित्तेषं । सोण्डापुर उ पखित्तं ॥६॥ 'धावन्त-वाररस्स कोवेण धमधमेन्तो दन्तच्छोभे ख कुमरो वि पिटुभाए पहराइ ता प्रधाव धावइ चलइ खलइ परिणश्रो तहा होइ । 'परिभमइ चक्क - भमरणं दोसेखं अइव महन्तं वेलं नियय- वसे काऊचं ग्रह तं गइन्द-खेडु अन्तेउर- सरिसेपं देइ सो तस्मि । दढ -मुट्ठि - पहरेमं ।।१०।। प्राकृत काव्य - मंजरी धमधमेन्तो सो ||११|| Jain Educationa International खेल्लावऊरण मारूढो ताव खन्धम्मि तं गयं पवरं । मरणोहरं सयल - नयर-लोयस्स पलोइयं नरवरिन्देवं ।। १३॥ दट्ठ, कुमरं गय-खन्ध-संठिये सुरवई व सो रायो । पुच्छइ निय- भिच्च यणं को एसो गुण-निही बालो || १४ || तेएणं अधिमयरो सोमत्तणएण तह य निसिनाहो । सब्व-कलागम-कुसलो वाई सूरो सुरूवो य ।।१५।। को चित्ते मऊरं ग घ को कुरणइ रायहंसा । को कुवलयारण गन्धं विरणयं च कुल-प्पसूयाखं ॥ १६ ॥ साली भरेग तोएण जलहरा फलभरेण तरु- सिहरा । चिप य सरिसा नमन्ति न हु कस्स वि भएर ||१७|| * 000 'प्राकृत कथा - संग्रह' – सं० मुनि जिनविजय, से उद्धत । पाथानुक्रम - ७- अगंडदत्त, ७२, ७५ और ७६ । माथा ५१ से ६५ एवं ७१, 118211 For Personal and Private Use Only ५६ www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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