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________________ पञ्चमः खण्डः - का० ६९ पुष्यद्वाग्दानवादि-द्विरद-घनघटाकुण्ठधीकुम्भपीठ - प्रध्वंसोद्भूतमुक्ताफलविशदयशोराशिभिर्यस्य तूर्णम् । गन्तुं दिग्दन्तिदन्तच्छलनिहितपदं व्योमपर्यन्तभागान् स्वल्पब्रह्माण्डमाण्डोदरनिबिडभरोत्पिण्डितैः सम्प्रतस्थे ।।२।। प्रद्युम्नसूरेः शिष्येण तत्त्वबोधविधायिनी। तस्यैषाऽभयदेवेन सन्मतेर्विवृतिः कृता ॥३॥ अङ्कतो ग्रन्थप्रमाणं २५०००। प्रवादिमदमर्दनप्रकटसन्मतिव्याजतो निवेशितजगत्त्रयस्फुरितसान्द्रकीर्त्तिद्रुमः । समस्तजगतीतले गुणवतां शिरःशेखरो जयत्यतुलवाग ( ) अभयदेवसूरिः प्रभुः ।। (इति प्रशस्तिः ) ___पुष्ट वचनरूपी मदवाले वादीस्वरूप गजराजों की घनघटा के तीक्ष्णबुद्धिस्वरूपगण्डस्थल का भेद करने से, बाहर आये हुए मुक्ताफलस्वरूप जिसके निर्मल यशःपुञ्जों जो कि बहुत छोटे ब्रह्माण्डरूपी बरतन के अंदर खचाखच भरे जाने के कारण उत्पीडन महसूस करते थे (अथवा खचाखच समूह से उत्पिण्डित यानी बिखर कर के) वे शीघ्र ही गगन के पर्यन्त भागों तक पहुँचने के लिये दिग्गजों के दन्तों के छल से कदम भरते हुए प्रस्थान करने लग गये - (ऐसे वे प्रद्युम्नसूरिजी) ।।२।। उन प्रद्युम्नसूरिजी के 'अभयदेव' शिष्यने तत्त्वबोध विधायक सन्मतिविवरण किया ।।३।। विवरण का ३२ अक्षर के एक श्लोक के प्रमाण से ग्रन्थान अंकत २५००० है। यहाँ अभयदेवसूरिजी की प्रशंसापरक 'प्रवादि०' इत्यादि एक वृत्त मिलता है – उस का अर्थ : प्रवादीयों के मद का मर्दन करने के लिये गुप्त न रहनेवाली सबुद्धि (अर्थात् श्लेष से सन्मतिविवरण) के बहाने से जिन का तीन जगत् में चमकता हुआ सघन कीर्त्तितरु स्थापित हो चुका है (दृढ-मूल बना है) ऐसे सम्पूर्णविश्वमंडल में गुणवानों मे शिरोमणितुल्य एवं बेजोड वाणीवैभववाले प्रभु श्री अभयदेवसूरि की जय हो ।। (प्रशस्ति सम्पूर्ण) पोषसुदि ११ वि.सं. २०४८ के शुभदिन गुरुवार को आज श्री सन्मतिप्रकरण की तत्त्वबोधविधायिनी व्याख्या के पंचम खंड का हिन्दीभाषाविवरण सानन्द समाप्त हुआ - मुनि जयसुंदर विजय । श्री सूत्रकार और व्याख्याकार के चरणों में कोटि कोटि वन्दना । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003805
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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