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________________ 16 १४० १४६ १४७ १४७ १४९ विषय पृष्ठाङ्क | विषय पृष्ठाङ्क दिक-कालसाधक अनुमानों में दूषण विभाग सिद्धि में बाधक प्रमाण १३८ दिक्-काल की कल्पना निरर्थक ११६ परत्व-अपरत्व के साधन का प्रयास १३८ क्रियादिभेदमूलक पूर्वापरभेद मानने में अनवस्था ११६ | परत्व-अपरत्व के उत्पाद की प्रक्रिया १३९ विशेषरूप से मनःसाधक अनुमान में बाधादि दोष ११७ | परत्व-अपरत्व साधक हेतु सदोष पृथ्वी आदि द्रव्यों में गुणादिभेद का अनुमान व्यर्थ ११७ | | नीलादिगुणों में परत्वादिप्रतीति औपचारिक नहीं १४० नव से अधिक द्रव्य छ से अधिक पदार्थ | प्रतिवादिकल्पित परत्वादिनिरपेक्ष साध्य निर्बाध है १४१ का सम्भव ११८ | आत्मा में बुद्धि आदि की आश्रयता पर विकल्प १४२ न्यूनाधिक विशेषण की असंगति तदवस्थ | आत्मा में गुणस्थिति का निमित्तभाव असंगत १४३ द्रव्यों के निषेध से गुणादिव्यवस्था भी निषिद्ध १२० । | स्थिति-अस्थितिभाव की स्थापकता दुर्घट १४४ २४ गुणों का नामोल्लेख १२० बुद्धि आदि गुणों की समीक्षा १४४ निरवयव सम्पूर्णरूप के ग्रहण की आपत्ति १२१ | गुरुत्वआदि में गुणरूपता का प्रतिषेध १४५ नीलादि में द्रव्यत्व का प्रसञ्जन १२१ वेग-भावना-स्थितिस्थापक त्रिविधसंस्कार संख्या एकद्रव्या-अनेकद्रव्या नित्या-अनित्या १२२ संस्कारों के खोखलेपन का दिग्दर्शन समुदायव्यावृत्तभाव ही संख्या है १२२ | वेगाख्य संस्कार की असंगतता गुणों में संख्या का ज्ञान औपचारिक नहीं है १२३ भावना संस्कार के साधक अनुमान की समीक्षा १४८ संख्या की व्यवस्था में एकार्थसमवाय निरुपयोगी १२४ स्थितिस्थापक संस्कार की कल्पना निरर्थक अविद्धकर्णसूचित संख्या-अनुमान सदोष १२५ | आत्मगुण अदृष्ट की समीक्षा | महद् आदि परिमाण के चार प्रकार | उत्क्षेपणादि पञ्चविध कर्म परिमाणसाधक अनुमान में हेतु सदोष १२७ क्रियासाधक अनुमानों में सदोषता १५२ ‘महती प्रासादमाला' प्रतीति की छानबीन क्षणिकभाव में क्रियाजन्य अशक्य १५३ माला न अवयवी है न जाति १२९ अक्षणिकभाव में क्रियोत्पत्ति अशक्य पृथक्त्व गुण के साधक-बाधक १२९ गतिशिलता की शंका का निवारण पृथक्त्व के विना सुखादिगुणों में पृथक्पन पृथक्रिया के अंगीकार में प्रत्यक्षविरोध १५४ का व्यवहार सामान्यपदार्थ का निरसन १५५ संयोग के साधक प्रमाण सामान्य के परापरभेद १५६ विभाग के साधक प्रमाण १३२ सामान्य का साधक अनुमान १५६ 'कुण्डलवान्' ऐसी प्रतीति से संयोगसिद्धिप्रयास १३२ विभिन्न पिण्डों में समानाकारज्ञान का निमित्त १५७ अतिरिक्त संयोगवाद प्रतिषेध १३३ | प्रत्यक्ष में स्वतन्त्र सामान्य का अप्रतिभास १५८ भ्रम के लिये आधारभूत मुख्यपदार्थ प्रत्यक्ष गोचर पिण्डों से ही अनुगतप्रतीति अनिवार्य नहीं १३४ | अश्वादि से गोबुद्धि की आपत्ति निरवकाश १५९ 'सकुण्डल चैत्र' बुद्धि का निमित्त ? १३५ सामान्यसमीक्षा में मूर्त्तामूर्तविकल्प संयोगसाध्यक अनुमान में अनैकान्तिक दोष १३६ | भेदाभेदविकल्पों की अनुपपत्ति । १६० संयोगसिद्धि में बाधक प्रमाण १३७ । सामान्याभाव ही भेदग्रहाभावप्रयोजक १२६ १५१ १२८ १५३ १५४ १३० १५८ १६० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003805
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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