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________________ 13 १० (सन्मति० पञ्चमखंड - विषयानुक्रम) विषय पृष्ठाङ्क | विषय पृष्ठाङ्क प्रकाशकीय | सातवीं गाथा प्रस्तावना आत्मस्वभाव भी अनेकान्तगर्भित विषयानुक्रम 9 | आठवीं गाथा प्रथमगाथा व्याख्यानारम्भ (तृतीयकाण्ड) १ | द्रव्य और गुण का सर्वथा भेद-वैशेषिकादिमत सामान्य-विशेषयोः परस्परानुवेधः | नवमी गाथा सामान्य एवं विशेष का परस्पर अविभक्तस्वरूप | गुण-गुणी में एकान्तभेद का परिहार एकान्तभेदपक्षे दोषनिरूपणम् | दसवीं-ग्यारहवीं गाथा द्वितीयगाथा | गुणार्थिक क्यों नहीं बताया ? एकान्तभेद-पक्ष में प्रमाणविरोध । सूत्रों में वर्णादि के लिये ‘पर्याय' शब्द का प्रयोग १९ प्रस्तुतकाण्ड का आरम्भ व्यर्थ होने की आशंका ३ बारहवीं गाथा प्रस्तुत काण्ड का आरम्भ सार्थक है - उत्तर ४ | पर्यायशब्द गुणशब्द समानार्थ हैं तो क्या ? समीक्षितार्थवचनस्वरूपनिरूपणम् | गाथा - १३-१४ तृतीयगाथा ४ | गुणार्थिकनय भगवदुपदिष्ट होने की आशंका आप्तवचन की विशेषता ४ | सिद्धान्त में गुणशब्द गणितशास्त्रोक्तधर्मसूचक वर्तमान पर्याय की त्रैकालिक सत्ता मानने | गाथा - १५ पर शंका-समाधान गुणशब्द पर्यायभिन्नअर्थ प्रतिपादक नहीं पूर्वोत्तर अवस्था में एक ज्ञानात्मा की अनुवृत्ति ६ | गाथा - १६ आत्मा और ज्ञान-पर्याय में भेदाभेद | एकान्त अभेदवादी की आशंका परमाणु एवं व्यणुकादि द्रव्यों का तादात्म्य ८ | गाथा - १७-१८ । परमाणु का उत्पत्ति-प्रलय सयुक्तिक ८ | गाथा - १९ समवायगर्भित अयुतसिद्धि का निरसन ९ | एकान्तअभेदवादी के पक्ष में प्रसञ्जन 'द्रव्यान्तर' शब्द की अन्य दो व्याख्या १० | गाथा - २०-२१ चतुर्थगाथा सम्बन्धविशेष से सम्बन्धिविशेष की शंका अतीत-अनागत काल में वर्तमानत्व की आपत्ति ११ का समाधान वर्त्तमानत्व की आपत्ति का निराकरण | गाथा - २२ पञ्चमगाथा १२ | परनिमित्त वैषम्य परिणाम की संगति विसदृश-सदृश पर्यायों से अस्ति-नास्ति विमर्श १२ | गाथा - २३-२४ व्यंजनपर्याय-अर्थपर्याय से अस्ति-नास्ति विमर्श । द्रव्य और गुण के लक्षण में दोषोद्भावन वर्त्तमानपर्याय में भी भजना १३ | द्रव्य और गुण के लक्षण में दोषोद्भावन छठ्ठी गाथा १४ | उपाध्यायजीकृत अवतरणिका की तुलना षट्स्थान हानि-वृद्धि का विवरण १४ | भेदपक्ष में गुणों के मूर्त-अमूर्त विकल्प १२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003805
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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