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श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः
श्री सिद्धसेनदिवाकरसूरि विरचित
सन्मति-तर्कप्रकरण
श्री तर्कपञ्चानन-वादिमुख्य-अभयदेवसूरि विरचिता
तत्त्वबोधविधायिनी वृत्ति
(द्वितीयः काण्ड:) आ० जयसुंदरसूरि कृत
हिन्दी विवेचन [चतुर्थ खण्ड]
आशिषदाता
: न्यायविशारद आचार्यश्री विजयभुवनभानु सू.म.
एवं सिद्धान्तदिवाकर गच्छाधिपति आचार्यश्री विजय जयघोष सू.म.सा.
आर्थिक लाभार्थी : श्री उमरा जैन श्वे० संघ, उमरा, सूरत-७
प्रकाशक
: दिव्यदर्शन ट्रस्ट
C/o, कुमारपाळ वि. शाह ३९, कलिकुंड सोसायटी, कलिकुण्ड तीर्थ, धोळका - ३८७४१०, गुजरात
प्रथमावृत्ति
वि.सं.२०६६
प्रति ३००
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