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मेरा मुझ में कछु नाहीं, जो कुछ है सो तेरा । तेरा तुझ को सोंपतें, क्या लागत है मेरा ।।
युवाशिबिर के आद्यप्रणेता परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराजा के
चरणो में सादर समर्पण
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