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________________ तिन्नि वित्तप्पयाराइं चउत्थं नोवलब्भई ।। [२००] सक्कया पायया चेव भणितीओ होति दोन्नि वि | सरमंडलंमि गिज्जते पसत्था इसिभासिया ।। [२०१] केसी गायइ महरं केसी गायइ खरं च रुक्खं च । केसी गायइ चउरं केसीय विलंबियं दुतंकेसी ? विस्सरं पुण केरिसी ? || [२०२] सामा गायइ महरं काली गायइ खरं च रुक्खं च । गोरी गायइ चउरं काणाय विलंबियं दुतं मंदा, विस्सरं पुण पिंगला || [२०३] सत्त सरा तओ गामा मच्छणा एगवीसई । ताणा एगूणपन्नासं समत्तं सरमडलं ।। [२०४] से तं सत्तनामे | [२०५] से किं तं अट्ठनामे? अट्ठविहा वयणविभत्ती पन्नत्ता तं जहा:- | [२०६] निद्देसे पढमा होइ बितिया उवएसणे । तइया करणंमि कया चउत्थी संपयावणे ।। [२०७] पंचमी य अवायाणे छट्ठी सस्सामिवायणे । सत्तमी सन्निहाणत्थे अट्ठमा ऽमंतणी भवे ।। [२०८] तत्थ पढमा विभत्ती निद्देसे सो इमो अहं व त्ति । बिइया पुण उवएसे भण कुणसु इमं व तं व त्ति ।। [२०९] तइया करणंमि कया भणियं व कयं व तेण व मए वा | हंदि नमो साहाए हवइ चउत्थी पयामि ।। सत्तं-२१० [२१०] अवणय गेण्ह य एत्तो इतो वा पंचमी अवायाणे । छट्ठी तस्स इमस्स व गयस्स वा: [२११] हवइ पुण सत्तमी तं इमंमि आधारकालभावे य । आमंतणी भवे अट्ठमी उ जह हे जुवाण त्ति ।। [२१२] से तं अट्ठनामे | [२१३] से किं तं नवनामे ? नवनामे- नव कव्वरसा पन्नत्ता तं जहा :[२१४] वीरो सिंगारो अब्भुओ य रोदो य होइ बोधव्वो । वेलणओ बीभच्छो हासो कल्णो पसंतो य ।। [२१५] तत्थ परिच्चायमि य तवचरणे सत्तुजणविनासे य । अणणुसय-धिति-परक्कमलिंगो वीरो रसो होइ ।। [२१६] सो नाम महावीरो जो रज्जं पयहिऊण पव्वइओ । काम-कोह-महासत्तु-पक्खनिग्घायणं कुणइ ।। २१७] सिंगारो नाम रसो रतिसंजोगाभिलाससंजणणो | मंडण-विलास-बिब्बो अहासलीलारमण लिंगो ।। [२१८] महुरं विलास-ललियं हिययुम्मादणकरं जुवाणाणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [४५-अनुओगदाराइं] [29]
SR No.003789
Book TitleAgam 45 Anuogdaraim Beiya Chuliya Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages68
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size2 MB
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