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साउणिया वाउरिया सोयरिया मच्छबंधा य ।। [१८२] नेसायसरमंता उ हवंति कलहकारगा |
जंघाचरा लेहवाहा हिंडगा भारवाहगा ।।
[१८३] एएसिं णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पन्नत्ता तं जहा- सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे | सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा :- ।
[१८४] मंगी कोरव्वीया हरीया रयणी य सारकंता य ।
छट्ठी य सारसी नाम सुद्धसज्जा य सत्तमा ।। [१८५] मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा :- |
[१८६] उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरायता |
समोक्कंता य सोवीरा अभिरुवा होइ सत्तमा ।। [१८७] गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा :- |
[१८८] नंदी य खुडिया पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा ।
उत्तरगंधारा वि य पंचमिया हवइ मुच्छा उ ।। [१८९] सुट्टत्तरमायामा सा छट्ठी सव्वओ उ नायव्वा ।
अह उत्तरायता कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ।। [१९०] सत्त सरा कओ हवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी ? |
कइसमया ऊसासा ? कइ वा गीयस्स आगारा ? || [१९१] सत्त सरा नाभीओ हवंति गीयं च रुइयजोणी ।
पायसमा ऊसासा तिन्नि य गीयस्स आगारा ।। सत्तं-१९२
[१९२] आइमिठ आरभंता समुव्वहंता य मज्झयारंमि |
अवसाने य उज्झंता तिन्नि वि गीयस्स आगारा ।। [१९३] छद्दोसे अट्ठगुणे तिन्नि य वित्ताइं दोन्नि भणितीओ |
जो नाही सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमज्झमि ।। [१९४] भीयं दुयमुप्पिच्छं उत्तालं च कमसो मुणेयव्वं ।
काकस्सरमणुणासं छद्दोसा हॉति गीयस्स ।। [१९५] पुण्णं रत्तं च अलंकियं च वत्तं च तहेव मविघुटुं ।
महुरं समं सुललियं अट्ठ गुणा होति गेयस्स ।। [१९६] उर-कंठ-सिर-विसुद्धं च गिज्जंते मउय-रिभिय-पदबद्धं
समतालपदुक्खेवं सत्तस्सरसीभरं गीयं ।। [१९७] अक्खरसमं पदसमं तालसमं लयसमं च गेहसमं ।
निस्ससिउस्ससियसमं संचारसमं सरा सत्त ।। [१९८] निद्दोसं सारवंतं च हेउजुत्तमलंकियं ।
उवनीयं सोवयारं च मियं महरमेव य ।। [१९९] समं अद्धसमं चेव सव्वत्थ विसमं च जं ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४५-अनुओगदाराइं]