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________________ तसा अनंता थावरा सासय-कड - निबद्ध -निकाइया जिनपन्नत्ता भावा आघविज्जंति० से एवं आया एवं नाया एवं विणाया एवं चरण-करण परूवणा आघविज्जइ० से त्तं उवासगदसाओ । [१४६] से किं तं अंतगडदसाओ ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराई उज्जाणाइं चेइयाई वनसंडाइं समोसरणाइं रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय-परलोइया इड्ढिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परिआया सुयपरिग्गहा तवोवहाणाइं संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाइं अंतकिरियाओ य आघविज्जंति० अंतगडदसाणं परित्ता वायणा संखेज्जा अनुओगदारा संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्ठयाए अट्ठमे अंगे एगे सुयक्खंधे अट्ठ वग्गा अट्ठ उद्देसणकाला अट्ठ समुद्देसणकाला संखेज्जाई पयसहस्साइं पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासयकड-निबद्ध-निकाइया जिनपन्नत्ता भावा आघविज्जंति पन्नविज्जंति जाव उवदंसिज्जंति, से एवं आया एवं नाया एवं विण्णाया एवं चरण-करण परूवणा आघविज्जइ से त्तं अंतगडदसाओ । सुत्तं-१४७ [१४७] से किं तं अनुत्तरोववाइयदसाओ ? अनुत्तरोववाइयदसासु णं अनुत्तरोववाइयाणं नई उज्जाणाइं चेइयाइं वनसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय परलो -इया इड्ढिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परिआगा सुयपरिग्गहा तवोवहाणाइं पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाइं पाओवगमणाइं अनुत्तरोववाइयत्ते उववत्ती सुकुलपच्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतिकिरियाओ य आघविज्जंति० अनुत्तरोववाइयदसाणं परित्ता वायणा संखेज्जा अनुओगदारा संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ संखेज्जा ओपडिवत्तीओ, से णं अंगट्ठयाए नवमे अंगे एगे सुयक्खंधे तिन्नि वग्गा तिन्नि उद्देसणकाला तिन्नि समुद्देसणकाला संखेज्जाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासय-कड - निबद्ध निकाइया जिनपन्नत्ता भावा आघविज्जंति० से एवं आया० आघविज्जइ० से त्तं अनुत्तरोववाइयदसाओ । [१४८] से किं तं पण्हावागरणाई? पण्हावागरणेसु णं अट्टुत्तरं पसिणसयं अट्टुत्तरं अपसिणसयं अनुत्तरं पसिणापसिणसयं अंगुट्ठ-पसिणाई बाहु पसिणाइं अद्दाग पसिणाइं अन्ने य विचित्ता दिव्वा विज्जाइसया नागसुवण्णेहिं सद्धिं दिव्वं संवाया आधविज्जंति० पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा संखेज्जा अनुओगदारा संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्ठयाए दसमे अंगे एगे सुयक्खंधे पणयालीसं अज्झयणा पणयालीसं उद्देसणकाला पणयालीसं समुद्देसणकाला संखेज्जाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अनंत अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासय-कड - निबद्ध - निकाइया जिनपन्नत्ता भावा आघविज्जंति जाव उवदंसिज्जंति, से एवं आया एवं नाया एवं विण्णाया एवं चरण- करण- परूवणा आघविज्जइ० से तं पण्हावागरणाई । [१४९] से किं तं विवागसुयं ? विवागसुए णं सुकड - दुक्कडाणं कम्माणं फलविवागे आघविज्जइ०, तत्थ णं दस दुहविवागा दस सुहविवागा । [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [17] [४४-नंदीसूयं]
SR No.003787
Book TitleAgam 44 Nandisuyam Padhama Chuliya Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages26
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 44, & agam_nandisutra
File Size1 MB
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