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________________ अज्झयणं-१० से सव्वसिणेह वज्जिए, [ ३१९] चिच्चाण धनं च भारिय मावं तं पुणो विविए [ ३२० ] अवउज्झिय मित्तबं धवं, मा तं बिइयं गवेसए [ ३२१] न हु संपइ नेयाउए पहे जिणे अज्ज दिस्सई [ ३२२] अवसोहिय कं टगापहं, गच्छसि मग्गं विसोहिया " o [ दीपरत्नसागर संशोधितः] ० " [३२८] संजोगा विप्पमुक्क आयारं पाकरिस्सामि खेमं च सिवं अ नुत्तरं, [ ३२६] बुद्धे परिनिव्वुडे चरे संतीमग्गं च वूहए, [३२७] बुद्धस्स निसम्म भासिय रागं दोसं च छिं I समयं गोयम ! मा पमायए ।। [३२३] अबले जह भारवाह मा मग्गं विसमेऽवगाहिया I पच्छा पच्छाणुतावए, समयं गोयम ! मा पमायए ।। [३२४] तिण्णो हु सि अण्णवं महं, किं पुण चिट्ठसि तीरमागओ ? । अभितर पारं गमित्तए समयं गोयम ! मा पमायए ।। [ ३२५] अकलेवरसेणिं उस्सिया T सिद्धिं गोयम ! लोयं गच्छसि समयं गोयम ! मा पमायए ।। गामगए नगरे स संजए समयं गोयम ! मा पमायए ।। I सुकहियमट्ठपओवसोहियं । दिया, सिद्धिगई गए गोयमे ।। त्ति बेमि [ ३३०] अह पंचहिं ठाणेहिं थंभा कोहा पमाएणं [ ३३१] अह अ हिं ठाणेहिं अहस्सिरे सया दं [ ३३२] नासीले न विसीले अकोहणे सच्चरए [३३३] अह चोद्दसहिं ठाणेहिं अविनीए वुच्चई सो उ " 9 3 [ ३२९] जे यावि होइ निव्विज्जे अभिक्खणं उ ल्लवई, " " 3 " 5 3 दसमं अज्झयणं सम्मत्तं • इक्कारसमं अज्झयणं - बहुस्सुयपुज्जं • समयं गोयम ! मा पमायए ।। ओइण्णोस पहं महालयं " ते, समयं गोयम ! मा पमायए ।। पव्वइओ हि सि अ नगारियं । समयं गोयम ! मा पमायए ।। विउलं चेव धणोहसंचयं I समयं गोयम ! मा पमायए ।। 3 " 3 बहुम दिस्सइ मग्गदेसिए । " अनगारस्स भिक्खुण आनुपुव्विं सुणेह मे ।। द्धेद्धे निग्गहे । अविनीए अबहुस्सुए ।। जेहिं सिक्खा न लब्भई [23] रोगेणालस्सएण य ।। सिक्खासीलि त्ति वुच्चई न य मम्ममुदा ।। न सिया अइलोलुए सिक्खासीलि त्ति वुच्चई माणे संज निव्वाणं च न गच्छइ ।। I I I | T [४३-उत्तरज्झयणं]
SR No.003785
Book TitleAgam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages112
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 43, & agam_uttaradhyayan
File Size2 MB
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