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________________ [१४८] भिक्खू य इच्छेज्जा नायविहिं एत्तए, नो से कप्पड़ थेरे अनापुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, कप्पड़ से थेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, थेरा य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ नायविहिं एत्तए, थेरा य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ नायविहिं एत्तए, जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे नायविहिं एड् से संतरा छेए वा परिहारे वा, नो से कप्पइ अप्पसुयस्स अप्पागमस्स एगाणियस्स नायविहिं एत्तए, कप्पड़ से जे तत्थ बहुस्सुए बज्झागमे तेन सद्धिं नायविहिं एत्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउत्ते भिलिंगसूवे, कप्पड़ से चाउलोदणे पडिग्गाहेत्तए, नो से कप्पड़ भिलिंगसूवे पडिग्गाहेत्तए ; तत्थ पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते मिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे कप्पड़ से मिलिंग सूवे पडिग्गाहित्तए नो से कप्पइ चाउलोदणे उद्देसो-६ पडिग्गाहेत्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं दो वि पुव्वावउत्ते, कप्पइ से दो वि पडिग्गाहेत्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं दो वि पच्छाउत्ते नो से कप्पड़ दो वि पडिग्गाहेत्तए । [१४९] आयरिय-उवज्झायस्स गणंसि पंच अइसेसा पन्नत्ता तं जहा-आयरिय-उवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए निगिज्झिय-निगिज्झिय पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा नातिक्कमति, आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स उच्चार-पासवणं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नातिक्कमति, आयरियउवज्झाए पभू वेयावडियं इच्छाए करेज्जा इच्छाए नो करेज्जा, आयरिय-उवज्झाए अंतो उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नातिक्कमति, आयरिय-उवज्झाए बाहिं उवस्सयस्स एगाणिए एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नातिक्कमति । [१५०] गणावच्छेइयस्स गणंसि दो अइसेसा पन्नत्ता तं जहा गणावच्छेइए अंतो उवस्सयस्स एगाणिए एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नातिक्कमति गणावच्छेइए बाहिं उवस्सयस्स एगाणिए एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नातिक्कमति । [१५१] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए नो कप्पड़ बहूणं अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्थि या इत्थ केइ आयारपकप्पधरे नत्थि या इत्थ केइ छए वा परिहारे वा, नत्थि या इत्थ केइ आयार पकप्पधरे सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तिया छेए वा परिहारे वा | [१५२] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए नो कप्पइ बहूणं वि अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्थि या इत्थ केइ आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं रयणिं संवसइ नत्थि या इत्थ केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि या इत्थ केइ आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं रयणिं संवसइ सव्वेसिंतेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा । [१५३] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा अभिनिव्वगडाए आ अभिनिक्खमणपवेसाए नो कप्पड़ बहुसुयस्स बज्झागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, किमंग पुण अप्पसुयस्स अप्पागमस्स भिक्खुस्स । [१५४] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए कप्पड़ बहुसुयस्स बज्झागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए उभओ कालं भिक्खुभावं पडिजागरमाणस्स । [१५५] जत्थ एए बहवे इत्थीओ य पुरिसा य पण्हावेंति तत्थ से समणे निग्गंथे अन्नयरंसि अचित्तंसि सोयंसि सुक्कपोग्गले निग्घाएमाणे हत्थकम्मपडिसेवणपत्ते आवज्जइ मासियं परिहारहाणं दीपरत्नसागर संशोधितः] [17] [३६-ववहारो] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003771
Book TitleAgam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages30
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 36, & agam_vyavahara
File Size2 MB
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