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गाहा-१६
[१६] वाहि-जर-मरणमयरो निरंतरुप्पत्तिनीर निबो ।
परिणामदारूणदुहो अहो दुरंतो भवसमुद्दो ।। [१७] इअ कलिऊण सहरिसं, गुरुपामूलेऽभिगम्म विनएणं ।
भालयलमिलिय-करकमल-सेहरो वंदिउँ भणइ ।। [१८] आरुहियमहं सुपुरिस ! भत्तपरिन्ना-पसत्थ-बोहित्थं ।
निज्जामएण गुरुणा इच्छामि भवन्नवं तरिठं ।। [१९] कारुण्णामय-नीसंद-सुंदरो सोऽवि से गुरु भणइ ।
आलोयण-वय-खामण-पुरस्सरं तं पवज्जेसु ।। [२०] इच्छामोत्ति भणिता भत्ति-बह्मान-सुद्ध-संकप्पो ।
गुरुणो विगयावाए पाए अभिवंदिऊँ विहिणा ।। [२१] सल्लं उद्धरिउमनो संवेगुव्वेय तिव्वसद्धाओ ।
जं कुणइ सुद्धिहेउं सो तेनाऽऽराहओ होइ ।। [२२] अह सो आलोयणदोसवज्जियं उज्ज्यं जहाऽऽयरियं ।
___ बालुव्व बालकालाउ देइ आलोयणं सम्म ।। [२३] ठविए पायच्छिते गणिणा गणिसंपयासमग्गेणं ।
सम्ममनुमन्निय तवं अपावभावो पुणो भणइ ।। [२४] दारुणदुहज्जलयर नियरभीमभवजलहि-तारणसमत्थे ।
निप्पच्चवाय पोए महव्वए अम्ह उक्खिवसु ।। [२५] जइ वि स खंडियचंडो अक्खंडमहव्वओ जई जइ वि ।
पव्वज्जवठट्ठावण-मुट्ठावणमरिहइ तहावि ।। [२६] पणो सुकयाणत्तिं भिच्चा पच्चप्पिणंति जह विहिणा ।
जावज्जीवपइण्णाणत्तिं गुरुणो तहा सोऽवि ।। [२७] जो साइयारचरणो आउटियदंडखंडियवओ वा ।
तह तस्स वि सम्ममुवट्ठियस्स उट्ठावणा भणिया [२८] तत्तो तस्स महव्वय पव्वयभारोनमंतसीसस्स ।
सीसस्स समारोवइ सुगुरू वि महव्वए विहिणा ।। [२९] अह होज्ज देसविरओ सम्मत्तरओ रओ य जिनधम्मे ।
तस्स वि अणुव्वयाइं आरोविज्जंति सुद्धाइं ।। [३०] अनियाणोदारमनो हरिसवस-विसट्ठकंटय-करालो ।
पूएइ गुरु संघं साहम्मिय-माय भत्तीए || [३१] नियदव्वमपुव्व जिणिंदभवन जिनबिंब वरपइट्ठासु ।
वियरइ पसत्थपुत्थय सुतित्थ तित्थयरपूयासु ।। [३२] जइ सोऽवि सव्वविरई कयानुराओ विसुद्धमइ-काओ ।
छिन्नसयणाणुराओ विसयविसाओ विरत्तो अ ।।
छिन्नर
[दीपरत्नसागर-संशोधितः]
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[२७|भतपरिणा]