________________
गाहा ८४
[८४] धीरपुरिसपन्नत्तं सप्पुरिसनिसेवियं परमघोरं । धन्ना सिलायलगया साहिंती अप्पणो अठ्ठे || [८५] बाहिंति इंदियाइं पुव्वमकारियपइण्णचारीणं ।
अकयपरिकम्म कीवा मरणे सुह संगतायंमि ।। [८६] पुव्वमकारियजोगो समाहिकामो य मरणकालंमि ।
न भवइ परीसहसो विसयसुहसमुइओ अप्पा ।। [८७] पुव्विं कारियजोगो समाहिकामो य मरणकालंमि ।
स भवइ परीसहसहो विसयसुहनिवारिओ अप्पा [८८] पुव्विं कारियजोगो अनियाणो ईहिऊण इव्वं ।
ताहे मलियकसाओ सज्जो मरणं पडिच्छिज्जा ।। [८९] पावीण पावाणं कम्माणं अप्पणो सकम्माणं ।
सक्का पलाइ जे तवेण सम्मं पठत्तेणं ॥ [९०] एक्कं पंडियमरणं पडिवज्जिय सुपुरिसो असंभंतो । खिप्पं सो मरणाणं काही अंतं अनंताणं ॥ [९१] किं तं पंडियमरणं
? कानि व आलंबणाणि भणियाणि एयाई नाऊणं किं आयरिया पसंसंति [९२] अनसनपाओवगमं आलंबण झाण भावनाओ अ । एयाइं नाऊणं पंडियमरणं पसंसंति ।। [९३] इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसह पराइय परज्झो । अकयपरिकम्म कीवो मुज्झइ आराहणाकाले ।। [९४] लज्जाइ गारवेण य बहुसुयमएण वा वि दुच्चरियं । जेन हंति गुरूणं न हु आहा हुंति ।। [९५] सुज्झइ दुक्करकारी जाणइ मग्गंति पावए कितिं । अनिगूहिंतो निंदइ तम्हा आराहणा सेया ।। [९६] न वि कारणं तणमओ संथारो नवि य फासुया भूमी । अप्पा खलु संथारो होइ विसुद्धं मनो जस्स
[९७] जिनवयण अनुगया मे होउ मई झाणजोगमल्लीणा । जह तंमि देसकाले अमूढसन्नो चयइ देहं || [९८] जाहे होइ पमत्तो जिनवयणरहिओ अनाउत्तो ।
ताहे इंदियचोरा करिंति तव संजमविलोवं ।। [९९] जिनवयणमनुगयमई जं वेलं होइ संवरपविट्ठो । अग्गीव वाउसहिओ समूलडालं डहइ कम्मं ॥ [१००] जह डहइ वाउसहिओ अग्गी रुक्खे विहरिय वनखंडे | तह पुरिसकारसहिओ नाणी कम्मं खयं नेई
[दीपरत्नसागर-संशोधितः]
[7]
? ।।
? |
||
||
||
[२६] महापच्चक्खाणं]