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________________ [१५२] अंधिय पोत्तियं मच् छिय मसगा कीडे तहा पयंगे य I ढिकुण कुक्कुड कुक्कुड नंदावत्ते य सिंगिरिडे । [१५३] किण्हपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हलिद्दपत्ता सुक्किलपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा ओभंजलिया जलचारिया गंभीरा नीणिया तंतवा अच्छिरोडा अच्चिवेहा सारंगा नेउरा दोला भमरा भरिली जरुला तोट्ठा विच्छुता पत्तविच्छुया छाणविच्छुया जलविच्छ्रया पियंगाला गा गोमयकीडगा जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वेते सम्मुच्छिमा नपुसंगा ते समासतो दुविहापन्नत्ता तं जहापज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य एतेसि णं एवमाइयाणं चउरिंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं नव जातिकुलकोडिजोणिप्पमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं से त्तं चउरिंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा । [१५४] से किं तं पंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा पंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा- नेरइयपंचिंदियसंसारमावण्णजीवपन्नवणा तिरिक्खजोणियपंचिंदियसंसारसमापद- १ वण्मजीवपन्नवणा मणुस्सपंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा देवपंचिंदियसंसारसमावण्ण- जीवपन्नवणा । [१५५] से किं तं नेरइया नेरइया सत्तविहा पन्नत्ता तं जहा- रयणप्पभापुढविनेरइया सक्करप्पभापुढविनेरइया वालुयप्पभापुढविनेरइया पंकप्पभापुढविनेरइया धूमप्पभापुढविनेरइया तमप्पभापुढविनेरइया तमतमप्पभापुढविनेरइया, ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य से त्तं नेरड्या | [ १५६ ] से किं तं पंचिंदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पन्नत्ता तं जहा- जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया खहयरपंचिंदियति रिक्खजोणिया । [१५७] से किं तं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया, जलयर० पंचविहा पन्नत्ता तं जहामच्छा कच्छभा गाहा मगरा सुंसुमारा, से किं तं मच्छा मच्छा अमेगविहा पन्नत्ता तं जहा - सहमच्छा खवल्लमच्छा जुगमच्छा विज्झिडियमच्छा हलिमच्छा मग्गरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा वडा वडगरातिमी तिमिंगिला नक्का तंदुलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसच्छियामच्छा लंभणमच्छा पडागातिपडागा जे यावण्णे तहप्पगारा से त्तं मच्छा । [१५८] से किं तं कच्छभा कच्छभा दुविहा पन्नत्ता तं जहा- अट्ठिकच्छभा य मंसकच्छभा य से त्तं कच्छभा । [१५९] से किं तं गाहा गाहा पंचविहा- दिली वेढला मुद्धया पुलगा सीमागारा से त्तं गाहा । [१६०] से किं तं मगरा मगरा दुविहा पन्नत्ता तं जहा- सोंडमगरा य मट्ठमगरा य से तं मगरा, से किं तं सुंसुमारा सुंसुमारा एगारा पन्नत्ता सरे त्तं सुंसुमारा जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा सम्मुच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य तत्थ णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा तत्थ णं जेते गब्भवक्कंतिया ते तिविहा पन्नत्ता तं जहा- इत्थी पुरिसा नपुंसगा एतेसि णं एवमाइयाणं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं अद्धतेरस जाइकुलकोडिजोणिप्पमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं से त्तं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया । तं जहा [१६१] से किं तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया, दुविहा पन्नत्ता चउप्पयथलयरपं-चें-दियतिरिक्खजोणिया य परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य से किं तं [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [१५- पन्नवणा] [16]
SR No.003729
Book TitleAgam 15 Pannavana Chauttham Uvvangsuttam Mulam PDF File Without Correction
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2013
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size3 MB
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